सेवा

संस्थान की मुख्य सेवाएँ

कथा वाचन

भारतीय जनमानस के रोम रोम में बसने वाली भगवान श्री के चरित्रों की गाथा सुनाने को ही कथा वाचन का नाम दिया है। कथा वाचन से एक समय पर बहुतायत लोगो को लाभान्वित करने का कार्य महाराज श्री बहुत ही निष्ठा और समर्पण से करते है।…

अंक ज्योतिष

अंक ज्योतिष में महाराज श्री गणित के नियमों को व्यावहारिक रूप से उपयोग करके मनुष्य के अस्तित्व के अलग-अलग पहलुओं पर नजर डाल सकते हैं। वास्तव में अंक ज्योतिष में नवग्रह के आधार पर गणना की जाती है। इनमें से प्रत्येक ग्रह के लिए एक से लेकर…

द्वारिकाधीश गौ सेवा संस्थान

द्वारिकाधीश गौ सेवा संस्थान एक ऐसी संस्था है, जो गौ सेवा, संत सेवा, वृद्ध सेवा, अनाथ सेवा हेतु सलग्न है। जो की विगत 8 वर्षों से अलग-अलग गौशालाओं में अपनी सेवा प्रदान करती है। और महाराज श्री के द्वारा समय-समय पर कंबल वितरण की सेवा व भोजन की सेवा भी की जाती है।…

वास्तु शास्त्र

वैदिक वास्तु शास्त्र भारत का एक पुराना विज्ञान है जो इमारतों को कैसे बनाया और डिज़ाइन किया जाता है, उससे संबंधित है। वास्तु विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष तरीकों का उपयोग करते हैं कि इमारतें लोगों के रहने या काम करने के लिए अच्छी हों।…

जन्मपत्री

ज्योतिष शास्त्र एक विज्ञान है जिसकी मदद से महाराज श्री जन्मपत्री का अध्ययन करके मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर नवग्रह का क्या प्रभाव पड़ता है इससे अवगत कराते हैं। यह एक ऐसा विज्ञान है जिसमें सितारों की चाल और उनके संबंध एवं…

पराम्बा शक्तिपीठ

पराम्बा शक्तिपीठ के सिद्ध साधक नागेश्वर जी महाराज ने यहां वट वृक्ष एवं पीपल वृक्ष के नीचे सद्गुरुदेव भगवान के सानिध्य में लगभग 10 वर्षों तक निरंतर साधना की और महाराज श्री भगवती की कृपा से सभी भक्तों की समस्त समस्याओं का समाधान यहां यज्ञ के माध्यम से करते हैं।…

आचार्य नागेश्वर शास्त्री

भगवान श्री कृष्ण की पावन जन्मभूमि मथुरा के चौमुहाँ गांव के एक कुलीन ब्राह्मण परिवार में श्री नागेश्वराचार्य जी महाराज का जन्म दिनांक 20 जुलाई 1995 को हुआ। महाराज जी के पिता पंडित तोता राम शास्त्री भगवान श्री कृष्ण के अनन्म भक्त थे तथा अपना संपूर्ण जीवन भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं के मंचन एवं भजन में समर्पित कर दिया। माता श्रीमति फूलवती देवी एवं पिता श्री के श्रीमुख से भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन सुनने एवं भगवदकृपा से श्री महाराज की बाल्यकाल से ही भगवदभक्ति में लीन रहने लगे।

आध्यात्मिकता की ओर श्री महाराज जी का लगाव बाल्यकाल से ही इतना रहा कि अपनी उत्तर मध्यमा तक की पढ़ाई गोकुल (महागन) रमणरेती में की। तत्पश्चात उच्च शिक्षा की प्राप्ति हेतु प्रसिद्ध स्थान काशी चले गए। वहां से आचार्य ने (M.A.) तक की पढ़ाई पूरी की। काशी से आचार्य तक की पढ़ाई पूरी करने के उपरांत श्री महाराज जी ने नई दिल्ली विश्वविद्यालय से विशिष्टचार्य (M.Phil) की पढ़ाई पूर्ण करने के उपरांत श्री लालबहादुरशास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से विद्यावारिधि (Ph.D) की पढ़ाई भी कर रहे हैं।